Monday, October 8, 2018

रिश्ते

हर रिश्ते का यहाँ बाजार हो गया
प्यारभरा नगमा गुन्हेगार हो गया
किस जगह रखूँ तुम्हे ये जिंदगी
घर का हर कोना व्यापार हो गया....

मेरे कदमों के सारे निशान हट गए
जहाँ रखे थे कदम वो पयाम हट गए
किस घर ले जाऊँ तुम्हें ये जिंदगी ??
जहाँ मकान थे वहाँ दुकान बन गए....
- विशाखासमीर मशानकर